ज्ञानवान बने ....(हृदय मंदिर )...उर्जा ...अपरिवर्तनशील


इस संसार में कुछ भी अपरिवर्तनशील नहीं है | सब कुछ नश्वर और क्षणभंगुर है | परिवर्तन प्रकृति का नियम है | जो परिवर्तन को और अनित्यता को समझता है , वस्तुतः वही ज्ञानी है | जीव, जगत और बह्म को सही तरीके से परिभाषित करने की क्षमता भी ज्ञानी - ध्यानी  ऋषि - मुनियों में ही होती है | भगवान श्री कृष्ण गीता में ज्ञान देते है कि इस अनित्य जगत में देह को पाकर मनुष्य को इसे समझते हुए विषय –वासनाओ  के दलदल में नहीं फ़सना चाहिए | ज्ञानी ही है ,जो ऋतुओ के अनुकूल यज्ञ को सफल कर लेता है | ज्ञानी ही है जो बाधाओं में व्यवधानों में मार्ग ढूढ निकालता है | मनुष्य को पीड़ा तभी होती है , जब उसके जीवन में परमात्मा नहीं होता है | प्रसन्नता और आनंद परमात्मा की उपस्थिति का आभास है | दुनिया के पीछे भागने से बढ़िया है की हम दुनिया के मालिक परमेश्वर के पीछे भागे , उसकी शरण में स्वंय को उसके श्री चरणों  में समर्पित करे और यह भाव रखे कि यह जो कुछ हमे मिला है | वह उसके कृपा के कारण संभव हो सका है यदि जीवन में ज्ञान उतर आये , तो छः संपदाए स्वतः प्राप्त हो जाती है | शम, दम, तितिक्षा, उपरति, श्रदा और समाधान | 

  1. शम है – सब तरह की शांति |
  2. दम है - इन्द्रिय संयम  | 
  3. तितिक्षा है – द्वंध  सहन करना, 
  4. उपरति है – विषयों के प्रति असक्ति न होना |
  5. श्रधा का मतलब है – सत्य से प्रगाढ प्रेम | 
  6. समाधान है – समाधि , और सत्य का दर्शन |