हमारे अन्नदाता पाई पाई और दाने – दाने का मोहताज़ है .......
24.39 करोड़ – देश के कुल परिवारों के संख्या
17.91 करोड़ –
गांवो में रहने वाले परिवारों की संख्या
किसी भी अर्थव्यवस्था में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र आर्थिक , वित्तीय और सामाजिक रूप से आपस में
गुंथे होते है | आदर्श स्तिथि तो यह होती है कि संसाधनों और सेवाओ का दोनों
क्षेत्रो में संतुलन स्थापित होना चाहिए | दुर्भाग्य से भारत और चीन जैसे विकासशील
देशो में यह विडंबना दिखती है | इन देशो में तेज़ गति से उद्योगीकरण में अपने
ग्रामीण क्षेत्र के अतिरिक्त श्रम और संसाधनों को शहरी क्षेत्र में लगा दिया |
लिहाजा शहरी क्षेत्र के इस असंगत विकाश का ग्रामीण क्षेत्र को बड़ा खामियाजा चुकाना
पड़ रहा है .. |